Saturday, February 12, 2022

काल

काल के मुख्यतः दो अर्थ है 
समय और मृत्यु 
समय में हम एकरेखीय हैं एकमुखी हैं सद्योजात से परे हम कुछ भी नहीं कर सकते । 
मृत्यु को भी इसी काल के पर्याय मे देखते हैं 
भू भूत भभूत और भव क्या है 
भुव और स्वः क्या है?  
हम काल को पञ्च इन्द्रियों से कैसे समझते हैं । 
जब सबकुछ अपनी अपनी गति व वेग से बदलता है तब हम इसे समझ पाते हैं  यानी कि किसी बन्द स्थान में जहां परिवर्तन न दिखे तो समय की भावना भ्रमित हो सकती है अन्तर्याग इसी के अन्तर्गत प्रक्रिया है जो बाहर से किसी भी समय की भावना को रोक देता है सापेक्षता को समाप्त कर देता है ।
इसी के संधान के लिए अलग अलग इंद्रियों को रोका जाकर सीखा जाता है कि एक इंद्री समय को कैसे समझती है और कैसे व्यक्त करती है 
समय को समझने के लिए पलक झपकने पर ध्यान देना चाहिए इसे निमेष कहा जाता है ।
इड़ा गान्धारी कूर्म । पिंगला यशस्विनी नाग।
 

एक माल ऐसी भी जपें के

साँस लें तो राम छोड़ें तो हनुमान