इन्द्रियाणां मनो नाथो मनोनाथस्तु मारुतः ।
मारुतस्य लयो नाथः स लयो नादमाश्रितः ।। --हठ योग प्रदीपिका
शिव जी कहते हैं- इन्द्रियों का स्वामी मन होता है । मन का स्वामी श्वास होता है।
श्वास का स्वामी लय है। यह लय नाद पर आश्रित है।
गूढ़ सूत्र बहुत कुछ बहुत थोड़े में कहता है।
विपरीत दिशा से पढ़ें तो नाद की सिद्धि आपको जीवन की , मन की , शरीर की , प्रकृति से तादात्म्य की लय देता है। नाद की साधना से आप लय rhythm को पा सकते हैं । लय श्वास पर अधिकार की कु़ञ्जी , चाबी है। इसी श्वास से मन संचालित होता है।
यदि श्वास की लयबद्धता को पा लिया तो , मन का साधन मिल जाता है। प्रत्येक शरीर का एक नैचुरल rhythmic pattern होता है। सूत्र की मानें तो बहुत कुछ करने की आवश्यकता नहीं है। अपने श्वास के इस सहज पैटर्न को ध्यान में लाना है। श्वास की कुछ विशेषताओं पर गौर करना है। चन्द्र और सूर्य स्वर का पैटर्न, श्वास की गति, श्वास की गहराई और इसका बदलाव भर ध्यान में लाना है।
मारुतस्य लयो नाथः स लयो नादमाश्रितः ।। --हठ योग प्रदीपिका
शिव जी कहते हैं- इन्द्रियों का स्वामी मन होता है । मन का स्वामी श्वास होता है।
श्वास का स्वामी लय है। यह लय नाद पर आश्रित है।
गूढ़ सूत्र बहुत कुछ बहुत थोड़े में कहता है।
विपरीत दिशा से पढ़ें तो नाद की सिद्धि आपको जीवन की , मन की , शरीर की , प्रकृति से तादात्म्य की लय देता है। नाद की साधना से आप लय rhythm को पा सकते हैं । लय श्वास पर अधिकार की कु़ञ्जी , चाबी है। इसी श्वास से मन संचालित होता है।
यदि श्वास की लयबद्धता को पा लिया तो , मन का साधन मिल जाता है। प्रत्येक शरीर का एक नैचुरल rhythmic pattern होता है। सूत्र की मानें तो बहुत कुछ करने की आवश्यकता नहीं है। अपने श्वास के इस सहज पैटर्न को ध्यान में लाना है। श्वास की कुछ विशेषताओं पर गौर करना है। चन्द्र और सूर्य स्वर का पैटर्न, श्वास की गति, श्वास की गहराई और इसका बदलाव भर ध्यान में लाना है।
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